Noukrani ki Beti - 1 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - भाग 1

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नौकरानी की बेटी - भाग 1

ये किताब मैं मेरी मां स्वर्गीय श्रीमती अनिमा भट्टाचार्या को समर्पित करती हुं।
 
राजू दसवीं में पढ़ता था और सबका बहुत ही दुलारा था।राजू को किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। उसके घर में दो काम करने वाले थे एक था दिनेश काका दूसरी कृष्णा वाई। कृष्णा वाई की एक बेटी थी आनंदी जैसा नाम वैसा काम। बहुत ही खूबसूरत, खुश मिजाज वाली लड़की थी आनंदी। राजू आनंदी को अपनी छोटी बहन जैसा मानता था। राजू में ये खास बात थी कि काम करने वाले को कभी नौकरानी नहीं मानता था।
कृष्णा वाई आनंदी को काम पर लाती थी क्योंकि राजू का बंगला काफी बड़ा था। आनंदी को पढ़ने लिखने का बड़ा शौक था पर ग़रीब होने की वजह से वह अपनी पढ़ाई पूरी ना कर सकी । आनंदी सातवीं कक्षा तक पढ़ी थी और हर विषय में अव्वल दर्जे का नम्बर आया था।
रोज सुबह सबसे पहले कृष्णा वाई राजू के घर जाती थी। राजू के घर पहुंच कर ही कृष्णा अपने काम में लग जाती थी और आनंदी भी अपनी मां के साथ काम करती थी कृष्णा वाई ने कहा राजू बाबा आपका जूस देती हुं। राजू ने कहा हां हां ठीक है। राजू ने कहा अरे आनंदी आज पहाड़ा सुनायेगी ना। आनंदी ने हंस कर कहा हां दादा । तभी कृष्णा वाई ने कहा आज नहीं बहुत काम है और बड़ी दीदी आने वाली है। राजू बोला अरे दीदी को आने में देर है।
तभी राजू के सर आ गए और वो पढ़ने अपने कमरे में चला गया।
तभी घर की मालकिन सैर से आ गई और फिर बोली कृष्णा जल्दी जल्दी नाश्ता बना दे और फिर सामान भी लाना है। कृष्णा वाई ने कहा हां अनु मैम। अनु ने कहा अरे आनंदी राजू के कपड़े इस्त्री किया क्या? आनंदी ने कहा हां मैम।
अनु ने कहा जा फिर सर को नाश्ता दे आ । और हां वहां जाकर बैठ मत जाना। आनंदी धीरे बोली नहीं मैम, आज दीदी आ रही है तो बहुत सारा काम है । फिर आनंदी ने जाकर सर को नाश्ता दिया। राजू बोला अरे आनंदी आज नहीं पढ़ना -सर से! आनंदी ने कहा नहीं दादा ,मैम बुला रही है। फिर आनंदी बेमन से चली गई। राजू समझ गया था कि मां ने मना किया होगा।
सर बोले राजू आनंदी को मौका मिल सकता है मैं कुछ करता हूं। राजू ने कहा जी सर।
फिर कृष्णा और आनंदी धीरे धीरे घर का सारा काम करते रहे। दोपहर हो गई। अनु ने कहा अब हाथ जल्दी चलाओ तुम लोग। कृष्णा मेनू देखकर सब बनाया ना। कृष्णा वाई ने कहा हां मैम। कृष्णा ने कहा आनंदी आज तू किरन मैम के घर चली जा। आनंदी ने कहा ठीक है मां।
अनु ने कहा आनंदी तूने रीतू का रूम ठीक किया। आनंदी ने कहा हां मैम। कृष्णा वाई ने कहा मैम मैं सामान लेकर आती हुं। अनु ने कहा हां जल्दी जा। आज दिनेश भी आधा छुट्टी लेकर गया।
फिर आनंदी और कृष्णा दोनों निकल गए। आनंदी बाहर निकल कर बोली मां आज कितना कुछ बना था पर हमें नहीं मिला। कृष्णा वाई बोली हां मैं जानती हूं तुम्हें भुख लगी है। कृष्णा ने जल्दी से दस रुपए आनंदी को दिए और कहा समोसा खा लेना ।ये बोल कर कृष्णा सामान लेने गई। आनंदी भी किरन मैम के घर काम करने गई।
 
एक घंटे बाद आनंदी राजू के घर पहुंच गई। कुछ देर बाद कृष्णा वाई भी सामान लेकर घर आ गई और उसने अनु को सारा हिसाब दे दिया। अनु ने कहा अरे दस रुपए तो कम है। कृष्णा बोली हां मैम मेरे पगार से काट लें ना। अनु बोली आज कल ज़बान चले रहे हैं तेरे। अनु के पति अमर बोले अनु अब जाने दो।
फिर कृष्णा वाई रसोईघर में आ गई। तभी आनंदी बोली मां किरन मैम ने कहा कि तू मत आया कर तेरी मां को बोल आकर मिले। कृष्णा वाई ने कहा जरूर तूने कुछ गलती किया होगा। आनंदी ने कहा नहीं मां मैने तो सारा काम अच्छे से किया था।
अनु रसोई में आकर बोली कृष्णा पुरी और आलू पालक ले जा और एकदम पांच बजे तक आ जाना। कृष्णा वाई बोली हां जी मैम। और फिर आनंदी और कृष्णा वाई कुछ पुरी व आलू पालक अपने टिफिन बॉक्स में भर लियाऔर अपने घर चले गए । कृष्णा वाई को राजू के घर से दो वक़्त का खाना मिल जाता था । कृष्णा का सबसे पुराना काम भी था । राजू के घर करीब सात साल से कम कर रही थी ।
फिर कृष्णा और आनंदी अपने घर में आ गए। आनंदी बोली मां मैम का स्वभाव कितना अजीब है ? कृष्णा बोली जाने दो आनंदी वो उम्र में बड़ी है तुमसे ।वो कुछ भी बोल सकती है।चलो अब खाना खा कर सो जाते हैं। कृष्णा ने पुरी और आलू पालक की सब्जी परोसा और दोनों खाकर सो गए। आनंदी थोड़ी देर बाद उठकर अपनी किताब कापी लेकर गणित के सवाल निकलने लगी उसका सबसे प्रिय विषय गणित है। फिर कब पांच बज गया पता नहीं चला। फिर जल्दी जल्दी दोनों घर से निकल गए और सीधे राजू के घर पहुंच गए।
 
अनु तेजी से बोली अभी मैं फोन करने वाली थी।सुन पहले चाय बना और शाम के नाश्ते में चुरा मटर बना दे। कृष्णा बोली हां अभी करती हुं। अनु ने कहा आनंदी जाकर पौधों को पानी दे दे। आज माली नहीं आया। आनंदी ने कहा ठीक है मैम।
तभी राजू बोला अरे आनंदी वह सवाल हल कर लिया। आनंदी ने कहा हां दादा। राजू ने कहा शाबाश बहन।।
 
कृष्णा ने जल्दी से चाय चढ़ा दिया और फ्रिज से मटर निकाला जो कि सुबह कृष्णा ने छिल कर रखें थे। और फिर जल्दी से चुरा मटर तैयार करने लगी। उधर आनंदी बड़े ही प्यार से पौधों को पानी दे दिया।
अनु नीचे आ गई और रसोई में आकर बोली कृष्णा अब केक बनाना है सारा सामान निकाल कर अच्छे से बना लें ना, और उसके बाद रात के खाने में क्या बनेगा याद है ? कृष्णा बोली हां मैम सब याद है। अनु ने हंस कर कहा गुड।। फिर अनु अपने सहेलियों से फोन पर बात करने लगी और बोली अमर तो एयरपोर्ट गए हैं अपने बेटी को लेने।
तभी राजू आकर बोला अरे मां पापा कब से फोन कर रहे हैं आप को। अनु बोली अच्छा क्या बोले। राजू बोला बस अभी रीतू दीदी को लेकर निकल गए। अनु बोली अच्छा एक घंटे तक पहुंच जाएंगे। राजू बोला हां।
अनु बोली अरे आनंदी साफ सफाई कर दे जल्दी ,तू यहां पढ़ने नहीं आती है हां।। आनंदी ने कहा हां मैम कर दिया सब। अनु फिर बोली चल जूते पोलिश कर दे। राजू ये सुनकर बोला क्या मां ये सब आनंदी क्यों करेगी? अनु गुस्से से लाल हो गई और बोली राजू तू अपने कमरे में जा।
 
अब शाम हो चुकी थी और अमर रीतू को लेकर घर पहुंच गए। रीतू बहुत ही खूबसूरत , खुश मिजाज जिन्दा दिल लड़की है लंदन में ही अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वही नौकरी करती थी। रीतू आकर ही बोली अरे मम्मी क्या बात है क्या खाने की खुशबू आ रही है ये तो कृष्णा वाई के हाथ का बना है।
ये सुनकर कृष्णा रसोई घर से बाहर निकल कर बोली हां बेबी कैसी हो।?
रीतू बोली अच्छी हुं अरे मेरी होनहार छात्रा कहां है?
 
आनंदी ने कहा नमस्ते दीदी । रीतू बोली अरे आनंदी इस बार तो मैं तुझे ले जाऊंगी।। अनु बोली अच्छा बाकी बातें बाद में करना अब अपने कमरे में जाकर कर तैयार हो जा।सब साथ में नाश्ता करेंगे।
 
कृष्णा वाई ने कहा हम अब चलते हैं। अनु बोली सब कुछ ठीक से कर दिया कोई भी काम छूट तो नहीं गया। कृष्णा बोली हां मैंने केक भी सजा दिया और खाना भी टेबल पर लगा दिया है। अनु बोली रात का खाना लेकर जाना। कृष्णा बोली हां ले लिया है। फिर आनंदी और कृष्णा चली गई।
 
रीतू बोली मम्मी मैं रात को दिखाती हुं लंदन से क्या क्या लाई हुं। अनु बोली अच्छा ठीक है अब नाश्ता कर लो । रीतू बोली नाश्ता में क्या है ? अनु बोली चुरा मटर ।
रीतू बोली अरे वाह जल्दी दो ना। फिर सब ने मिलकर कर नाश्ता किया और फिर टी वी देखने लगे।
 
उधर कृष्णा घर पहुंच कर थोड़ा बहुत काम समेट कर आनंदी को बोली चल खाना खा ले। आनंदी ने कहा हां मां,चलो पर एक बात बताओ रीतू दीदी क्या सचमुच मुझे ले जाएंगी? । कृष्णा ने समझाया और कहा ना बाबा इतना सपना मत देख जो पुरा ना हो।
आनंदी ने कहा मुझे भरोसा है खुद पर और रीतू दीदी पर। अगर मैं गई तो तुम रह लोगी ना। कृष्णा बोली हां बाबा मेरी गुड़िया ।
आनंदी मां क्या मस्त खाना बनाई हो। कृष्णा ले तेरी पसंद की खीर। आनंदी खुशी से खाना खाने लगी
 
उधर राजू के घर में सब एक साथ खाने बैठे हैं। रीतू बोली मम्मी आज तो मेरा मनपसंद डिश बना है जो कि मैंने पहले ही देख लिया। अनु ने कहा हां बेटा । इतने दिनों बाद सुकुन से खा ले।
राजू बोला दीदी आप आनंदी के लिए कुछ सोच रही है। रीतू बोली अरे सोचना क्या वो तो जाएगी मेरे साथ। मैंने वहां के सबसे अच्छे स्कूल में बात भी कर लिया और उसे तो सब सोच को स्कलर सिप मिल जाएंगा। अगर एक छोटी सी कोशिश से किसी का भला हो सकता है तो फिर क्या बात।
अनु बोली अरे बेटा उसकी जिम्मेदारी तू क्यों लेगी भला कहीं कुछ हो गया तो।
रीतू बोली अरे मम्मी आज मैं कुछ बन पाई हुं तो सिर्फ कृष्णा वाई की वजह से आपको तो याद होगा ना किस तरह कृष्णा वाई इस परिवार को सम्हाल कर रखी थी।आप तो उन दिनों कितने टूर में जाती थी और मेरे परिक्षा के वक्त राजू छोटा था आनंदी को साथ लेकर कर कृष्णा वाई ने किसी तरह मुझे पढ़ने के लिए उत्साहित किया करती थी और समय से खिलाना सुलाना सब करती थी । मुझे पढ़ाई के समय कोई भी शोर पसंद नहीं था तो कृष्णा वाई ने राजू को आनंदी को लेकर घर का सारा काम किया करती थी। और आज जब मुझे मौका मिला है गुड़िया के लिए कुछ करने का तो मैं पीछे नहीं हट सकती हुं।
अनु बोली अच्छा ठीक है तुझे जो सही लगे वहीं कर। फिर सब खाने के बाद रीतू के लाये हुए तोहफा देखने लगे।
अनु बोली थैंक्स बेटा बैग बहुत अच्छा है। राजू ने कहा थैंक यू दी मोबाइल के लिए। फिर सब गुड नाईट बोल कर सोने चले गए।
 
दूसरे दिन रीतू रोज की तरह योगा और सैर से हो कर आई। तभी कृष्णा और आनंदी आ गए। रीतू बोली कृष्णा वाई आपके लिए एक बैग और एक घड़ी लाई हुं। आईये आपको दिखाती हुं।
कृष्णा बहुत खुश हुई। रीतू बोली गुड़िया के लिए एक काम की चीज लाई हुं।
आनंदी ने कहा क्या दीदी ? तभी रीतू ने अलमारी से एक बैग, घड़ी और लैपटॉप निकाल कर कृष्णा वाई को बैग, घड़ी दिया और लैपटॉप आनंदी को दिया। आनंदी देख कर रोने लगी।
 
कृष्णा वाई ने कहा अरे बेबी ये बहुत महंगा सामान दिया है। रीतू हंस कर कहा हां पर आनंदी से ज्यादा महंगी नहीं है कृष्णा वाई। कृष्णा ये सुनकर रोने लगी।
 
रीतू तुरन्त बोली अरे आप रोरिये मत। जल्दी से एक चाय पिलाओ। कृष्णा बोली हां अभी बनाती हुं। ये देख राजू खुश हो गया और बोला आनंदी अब खिटपिट करेंगी। आनंदी ने कहा दादा आप भी।
 
अनु ने कहा अब बहुत हुआ बातचीत आनंदी राजू को जूस दे दो ।
आनंदी ने कहा हां मैम ,बस अभी लाती हूं। और फिर कृष्णा वाई और आनंदी का काम शुरू हो गया।
अनु बोली जल्दी जल्दी नाश्ता बना दे हम लोगों को बहार निकलना है।
कृष्णा वाई ने कहा हां मैम आलू का पराठा बना दिया और साथ में दाल तरका ।
अनु बोली आज दोपहर का खाना मत बना। आज सारा साफ सफाई कर दे। कृष्णा वाई ने कहा हां मैम कर देती हुं ।
 
फिर सब खाने की टेबल पर गर्म गर्म आलू का पराठा खाने लगे और फिर अमर बोले मेरा हो गया मैं तो निकलता हूं। अनु बोली अच्छा ठीक है पर जल्दी डाईबर को भेज देना। अमर बोले हां।
 
फिर कुछ देर बाद राजू का भी स्कूल बस आ गया और वो भी चला गया।
रीतू बोली आनंदी आ तुझे लैपटॉप सिखा दु। आनंदी ने कहा हां दीदी जरूर।
इधर कृष्णा ने सारे बंगले की सफाई कर दिया और वो किरन मैम के घर चली गई।
किरन के घर पहुंच कर चार बातें सुनकर कृष्णा ने मन बना लिया कि अब ये काम छोड़कर राजू के घर पुरे समय के लिए काम करेगी।
फिर सारा काम करने के बाद कृष्णा ने कहा किरन मैम मैं अब काम नहीं कर पाऊंगी।।
किरन ने कहा अरे अब क्या हुआ। कृष्णा वाई ने कहा जो एक इन्सान को इन्सान नहीं समझते है वहां काम नहीं करना है।बोल कर कृष्णा निकल गई।
 
फिर वापस राजु के घर पहुंच कर बोली मैम क्या कुछ और काम है।? अनु बोली नहीं और तो कुछ काम नहीं है बस तू शाम को जल्दी से आना ।
कृष्णा ने तभी आनंदी को आवाज लगाई। और फिर आनंदी आ कर बोली हां मां क्या हुआ? कृष्णा बोली कि चल फिर घर चलते हैं।कह कर दोनों घर के लिए निकल गए।
 
घर पहुंच कर ही कृष्णा वाई रीतू का दिया हुआ तोहफा देखने लगी और बोली रीतू बेबी ने कितना अच्छा तोहफा दिया है।
आनंदी ने कहा हां मां दीदी तो दुर्गा है। पता है मां- मुझे तो दीदी ने लैपटॉप से ही लंदन के एक स्कूल में दाखिला लेने के लिए फार्म भरना सिखाया।
 
कृष्णा वाई ने कहा अच्छा -बहुत ही भाग्यशाली हैं तू जो रीतू दीदी इतना कर रही है तेरे लिए, वरना आजकल कहा कोई अपना भी नहीं कर पाता है। भगवान उसका भला करे।
आनंदी ने कहा हां मां मैं भी पुरी मेहनत से पढ़ाई करूंगी
कृष्णा बोली अच्छा चल आलू का पराठा खा ले। फिर दोनों रोज की तरह खा कर सो गए।
 
फिर शाम हो चुकी थी और दोनों फिर राजू के घर पहुंच गए।तो देखा कि अनु मैम की सहेलियां आई थी। कृष्णा वाई बोली मैम चाय बना लूं।
अनु बोली हां, साथ में पकौड़े कटलेट स्वीट कार्न सब तल लें। कृष्णा वाई बोली हां अभी करती हुं। और फिर जल्दी से नाश्ता तैयार करने लगी कटलेट के लिए आलू को उबालने गैस पर रख दिया और प्याज के पकौड़े तलने लगी और सबको चाय और नाश्ता दे दिया ।
अनु की सहेलियां सब बड़े चाव से खाने लगे और तारीफ भी कर दिया।
 
रीतू बोली अरे गुड़िया तू चल मेरे रूम में। आनंदी ने कहा हां-हां दीदी। फिर रीतू ने आनंदी का लैपटॉप निकाला और आनंदी को कहा कि तू चालू कर लैपटॉप। आनंदी ने झट से चालू कर दिया और फिर रीतू ने जैसे -जैसे अंग्रेजी में टाइप करने को कहा ,वैसे ही आनंदी भी टाइप करती जा रही थी और फिर आनंदी का दाखिला फार्म सबमिट हो गया और वो भी लंदन में।
आनंदी को खुशी का ठिकाना न रहा।वो रीतू के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
रीतू बोली तेरा हर सपना पूरा हो। आनंदी ने कहा हां दीदी। फिर आनंदी ने रीतू का रूम अच्छी तरह से ठीक कर दिया ।
 
और फिर आनंदी नीचे आ कर रसोई में चली गई और बोली मां कुछ काम करना है। कृष्णा ने कहा नहीं रे सब हो गया अब हमलोगो को चलना चाहिए।
 
कृष्णा बोली मैम सब टेबल पर रख दिया। अब चलती हुं। अनु बोली अच्छा ठीक है, खाना ले लिया। कृष्णा बोली हां मैम,ले लिया है।ये कह कर कृष्णा और आनंदी बहार निकल गए।
घर जाते समय आनंदी ने सारी बात बताई । कृष्णा बोली अच्छा तो सब ठीक हो।आनंदी ने कहा हां मां अब वहां से ज़बाब आ गया तो मैं तो उड़ गई समझो। कृष्णा बोली हां मैम बन जा तू। फिर दोनों हंसने लगे और घर पहुंच गए। कृष्णा बोली आनंदी तू परदेश जाकर मां को भुल गई तो। आनंदी ने कहा अरे मां मैं तुमको भी वहां ले जाऊंगी। कृष्णा बोली अच्छा चल अब जल्दी से खाना खा ले। आनंदी ने कहा हां मां चलो। फिर दोनों खाना खाने बैठे। आनंदी को छोले भटूरे बहुत पसंद थे और जैसे ही थाली में भटूरे देख कर बोली अरे वाह !मां क्या मस्त छोले भटूरे बना है।
फिर खाना खाने के बाद कृष्णा घर का सारा काम कर के सोने गई तो देखा आनंदी पढ़ रही है। कुछ देर बाद दोनों सो गए।
 
फिर सुबह हो गई और फिर आनंदी ने कहा मां आज लेट हो गया चलों जल्दी। कृष्णा वाई ने कहा हां चलो । फिर दोनों राजू के घर पहुंच गई और कृष्णा रसोई घर में जाकर चाय बनाने लगी।
अनु बोली आज तो सात बजा दिया।अब जल्दी जल्दी से नाश्ता में कचौड़ी और इमली की चटनी बना दे। कृष्णा वाई ने कहा हां मैम आज आंख नहीं खुली ,तो इसलिए लेट हो गया। आप टेंशन मत किजिए मैं सब जल्दी से कर देती हूं।
अनु बोली अच्छा आनंदी तू छत से कपड़े लेकर इस्त्री कर और सबके अलमारी में लगा दे। रीतू बोली अरे !मम्मी क्या तुम आनंदी से सब मत करवाओ ।वो इस्त्री वाला तो है चौराहे पर।
अनु बोली अरे बाबा वो दुकान नहीं लगाया है। रीतू बोली जो आज जरूरत के कपड़े है मैं इस्री कर दुंगी।
 
कृष्णा वाई जल्दी जल्दी नाश्ता बना रही थी। फिर सबको चाय भी पिलाई। रीतू बोली वाह क्या चाय बना है।
और फिर आनंदी ने कहा कि दीदी वहां से कुछ ज़बाब आया क्या ? रीतू ने कहा नहीं अभी तक नहीं पर तुमको सिलेब्स बता देंती हुं।रूक अभी कचौड़ी खाकर चलते हैं। आनंदी ने कहा हां दीदी ठीक है।
रीतू बड़े मन से कचौड़ी खा कर ऊपर अपने कमरे में आनंदी को लेकर आ गई और रीतू ने लैपटॉप निकाल कर आनंदी को सारा विवरण नोट करवाया और फिर समझाया कि कैसे ज़बाब देना होगा।
 
इधर कृष्णा वाई ने सब खाना बना कर टेबल में लगा दिया और आनंदी को आवाज लगाई घर चलने के लिए कहा ,क्योंकि तीन बज रहे थे।
आनंदी भी मां की आवाज़ से नीचे आ गई और बोली हां मां चलो।
कृष्णा ने मन में बोला अनु मैम फोन पर ही बात कर रही है इसलिेए कृष्णा ने रीतू ने कहा बेबी हम जा रहे हैं।
रीतू बोली कृष्णा वाई खाना लिया न?कृष्णा वाई बोली हां ले लिया है और आप लोगों का भी टेबल पर लगा दिया।
 
फिर दोनों अपने घर पहुंच गए।
कृष्णा ने कहा आज बहुत थकावट हो गई। आनंदी ने कहा हां, मां तुम आराम करो मैं खाना परोसती हुं। और फिर आनंदी ने खाना परोसा और दोनों खाकर कर सो गए।
फिर शाम को कृष्णा वाई और आनंदी समय से पहले राजू के घर पहुंच गए। देखा तो घर में राजू के दादाजी , चाचा-चाची सब आए है। आनंदी ने कहा कि सब लोग आए हैं क्योंकि कहा कल दादा का जन्मदिन है।
कृष्णा वाई ने कहा अरे हां,याद नहीं रहा।
अनु बोली अच्छा हुआ जल्दी आ गई । पहले सबके लिए चाय बना और फिर रात के खाने में पुरी , आलू मटर की रससेदार सब्जी बना दे। कृष्णा वाई ने कहा हां मैम अभी सब करती हुं ।
आनंदी बोली अरे दादा कल तो आप का विशेष दिन है। राजू बोला हां मेरी गुड़िया।
रीतू बोली अरे आनंदी तू मेरे कमरे में चल तो कुछ काम है। आनंदी रीतू के साथ उसके कमरे में गई।
अनु फोन पर ही सबको कल रात की पार्टी में आने के लिए कहा रही थी। क्योंकि आज कल सबकुछ फोन पर ही हो जाता है।
दादाजी और चाचा-चाची सब बैठ कर बातचीत कर रहे थे। कृष्णा ने सबको चाय, नाश्ता कराया।
फिर कृष्णा का सब काम हो गया और वह आनंदी को लेकर चली गई।
घर पहुंच कर आनंदी ने कहा मां आज दीदी ने मुझे अंग्रेजी में बात करना सिखाया। कृष्णा बोली अच्छा ठीक है चल जल्दी खा कर सो जाते हैं कल जल्दी जाना होगा। आनंदी ने कहा हां मां चलो । फिर दोनों का खाना खा कर सो जाते हैं।
 
फिर सुबह उठकर कर तैयार हो कर दोनों राजू के घर पहुंच जाते हैं। गेट से ही सजावट गाना बजाना सब शुरू हो गया था। आनंदी ये देख खुश हो गई और बोली मां देख कितना अच्छा सज गया दादा का बंगला।।
फिर अन्दर पहुंच कर ही कृष्णा राजू को बोली जन्मदिन पर बधाई बाबा। राजू ने कहा कृष्णा वाई धन्यवाद आपका। आनंदी बोली दादा तुम जियो हजारों साल।। राजू बोला हां मेरी गुड़िया ।
अनु बोली अच्छा चल ,अब जल्दी से नाश्ता तैयार कर दो।महेमान आने वाले हैं।
कृष्णा वाई बोली हां मैम बस अभी करती हुं। राजू बोला कृष्णा वाई के हाथ की बनी खीर सबसे पहले खाऊंगा। कृष्णा ने कहा हां राजू बाबा याद है सबसे पहले दूध ही खौलाने जा रही हुं।
अनु बोली हां किचन में मैंने दोपहर के लंच का मेनू कार्ड रख दिया ।देख लेना।कृष्णा ने कहा हां मैम, मैं अभी देखती हूं। फिर कृष्णा ने चाय बना कर टेबल पर रख दिया और फिर नाश्ते में मेनू कार्ड देखकर वाटी चोखा की तैयारी करने लगी। और साथ ही खीर भी तैयार करने लगी। फिर कृष्णा ने सबको बड़े मन से गरम - गरम वाटी चोखा खिला दिया।
सब वाह! वाह कर रहे थे। राजू बोला हां कृष्णा वाई के हाथ में जादू है। लंच भी तैयार हो गया था फिर कृष्णा ने एक, एक करके सारा खाना बना कर टेबल पर लगा दिया और बोली कि आज राजू बाबा का जन्मदिन है इसलिए मैं सबको खाना परोसा देती हुं।
अमर बोले हां कृष्णा तुम तो हमेशा से करती हो।
राजू नये पोशाक में आ कर बैठ गए। और कृष्णा ने सबसे पहले राजू के लिए एक चांदी की कटोरी में खीर और फिर पुरा थाली सजाकर गरमा -गरम खाना परोसा और फिर बाकी के महेमानो को भी भोजन परोस दिया। सब बड़े मन से खाना खाने लगे और कृष्णा रसोई का बाकी सारा काम कर दिया।
अनु बोली अरे सुन कृष्णा रात को पार्टी है तो तुम लोगों की छुट्टी। ये सुन कर सब अनु को देखने लगे।
राजू बोला क्या मां आज भी ऐसा बोलेगी। कृष्णा वाई और आनंदी को पूरा हक है पार्टी में शामिल होने का।
अमर बोले हां ठीक कहा। आज सबके साथ खुशियां मनानी चाहिए। अनु बोली, अच्छा चल ठीक है कुछ ढंग के कपड़े पहन लेना । आनंदी को बहुत बुरा लगा और वो कुछ बोलने जा रही थी ।
तभी रीतू बोली आनंदी आ मेरे साथ। रीतू आनंदी को ऊपर ले गई और उसने अलमारी से दो पैकेट निकाल कर आनंदी को दिया और कहा ले शाम की पार्टी के लिए गुड़िया तेरा और कृष्णा बाई के कपड़े मैं लाई हुं ।आनंदी ने कहा धन्यवाद आपका।
फिर आनंदी वह पैकेट ले कर नीचे रसोई में आकर कर मां को दिया और बोली ये दीदी ने दिया। कृष्णा वाई ने पैकेट ले कर अपने बैग में रख दिया।
 
उधर पुरे घर को रंग-बिरंगी रोशनी वाली लाइट से सजाया जा रहा था।
फिर कृष्णा वाई ने कहा मैम हम चलते हैं। अनु बोली अच्छा ठीक है खाना लिया है। कृष्णा बोली हां मैम ले लिया । और फिर कृष्णा और आनंदी चली गई।
अनु बोली अरे अमर वो छत पर सब सजावट हो रहा है ना और डी जे भी चेक कर लेना हां। अमर बोले हां मैं सब कुछ देख रहा हु।तुम परेशान मत हो।
राजू को उसके दादाजी ने एक किताब दिया राजू ने खोल कर देखा और कहा दादाजी थैंक यू।फिर चाचा चाची ने एक मोबाइल फोन दिया। राजू मोबाइल फोन देख कर बोला अरे वाह! फिर रीतू ने राजू को एक सफारी सूट दिया।
राजू सारा तोहफा लेकर अपने कमरे में चला गया। और अलमारी में रख दिया।
उधर कृष्णा वाई और आनंदी रास्ते में ये सोच रहे थे कि राजू को क्या उपहार दे।आनंदी बोली मां मुझे दादा के लिए कुछ तोफा लेना है। कृष्णा बोली हां ,मैं घर जाती हुं तू कुछ ले कर आ।
आनंदी ने कुछ पैसे लिए और अजय गिफ्ट शाप में गई। आनंदी को एक फोटो फ्रेम पसंद आया और उसने पैक करने को कहा। फिर पैक करवा कर पैसे देकर घर पहुंच गई।घर आकर बोली मां खाना दे दो भुख लगी है फिर कृष्णा और आनंदी खाने लगे। आनंदी बोली मां कितना कुछ बनाई थी बताओ तो। कृष्णा हंस कर बोली हां ज़रूर कह कर बताने लगी। कबाब, पुलाव, आलू दम, कचौड़ी,मटर पकौड़ी,दाल मखानी, कलोंजी, खीर ।बस यही सब बना था। आनंदी बोली मां सुनकर ही पेट भर गया बहुत।कृष्णा बोली हां ठीक है मन से खा ले। फिर दोनों का खाना खा कर सो गए।
उधर राजू का बंगला बहुत ही अच्छा सज गया था। फुलों की लड़ियां और रंग-बिरंगी लाइट की मालाओं से सजा था।
सब अपने अपने कमरे में तैयार हो रहे थे। अनु तो तैयार होने पार्लर गई थी।
रीतू तो तैयार हो गई और उधर राजू भी तैयार था। राजू के दादाजी व चाचा-चाची सब तैयार हो कर नीचे आ गए।
फिर एक एक करके राजू के दोस्त आने लगे।सारे तोहफा लाकर राजू को दे रहे थे और जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दे रहे थे।
कुछ देर में अनु भी सज संवर कर आ गई और अपने सहेलियों का इन्तजार करने लगी। तभी अनु की सहेलियां भी आने लगी। सब एक -एक करके राजू को तोहफा दे रही थी।
कृष्णा और आनंदी भी जल्दी से तैयार हो गई रीतू ने जो साड़ी और सूट दिया था। दोनो वहीं पहने थे।
आनंदी खुशी से झूम उठी और फिर बोली मां देख रीतू दीदी ने कितना अच्छा तोहफा दिया है। गुलाबी रंग का सूट, दीदी को सब पता है कि मुझे गुलाबी रंग पसन्द है।
कृष्णा बोली हां बचपन से ही बेबी तुझे बहुत प्यार करती थी। तुमको वो कभी भी एक नौकरानी की बेटी नहीं समझा। अच्छा चल राजू के घर चलते हैं।फिर आनंदी ने राजू के लिए जो तोहफा खरीदा था वो लेकर राजू के घर पहुंच गई। आनंदी मन में मुस्कुरा कर बोली राजू दादा का बंगला कितना अच्छा लग रहा है। कृष्णा अन्दर जाकर राजू को बोली जन्मदिन की बधाई बाबा। राजू ने कहा कृष्णा वाई धन्यवाद आपका। आनंदी ने तोहफा देते हुए कहा दादा तुम जियो हजारों साल। राजू बोला धन्यवाद आनंदी।
खाने पीने की व्यवस्था पार्क पर किया गया था और सारी सजावट बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर राजू के लिए बहुत बड़ा सा केक आ गया। और राजू ने केक काट और सबको खिलाया। राजू ने आनंदी को भी केक खिलाया । आनंदी ने कहा दादा धन्यवाद।
फिर अनु ने कृष्णा से कहा कि केक सबको दे दो। फिर कृष्णा ने एक बड़े ट्रे में केक लेकर सब के पास जाकर केक दे दिया।
राजू के दोस्त लोग नाचने लगे सब बहुत मज़े कर रहे थे।
फिर अनु ने सबको डिनर के लिए कहा। राजू के दोस्तों ने जाकर खाना शुरू किया।
अमर ने और मेहमानों को भी खाना के लिए कहा फिर धीरे धीरे सब खा कर जाने लगे। राजू के दोस्त खाना खा कर सब चले गए। रीतू की कुछ सहेलियां आई थी वो सब खाना खा कर जाने लगी। क्योंकि रात भी काफी हो गया था।
सबके खाने के बाद कृष्णा और आनंदी खाने के लिए गए। रीतू बोली अरे आनंदी इतने देर बाद खाने जा रही हो कहा थी तुम? आनंदी ने कहा यही तो थी।
अनु बोली अरे मैंने ही कहा था तुम लोगों बाद में खाना खाने जाना जब सारे मेहमान खा कर चले जाएं।
रीतू बोली अरे मम्मी आज तो ये नियम नहीं लागू कर सकती थी आज तो राजू का जन्मदिन था। और आज सब मेहमान ही है।
अनु बोली हां ठीक है कृष्णा अब जाकर आराम से खाना खा ले।कृष्णा बोली हां मैम। आनंदी और कृष्णा जाकर खाना खाने लगे। वहां पर सिर्फ वो लोग थे जिन्होंने ये सजावट करवाया था।वो लोग भी खाना खा रहे थे।
राजू ये सब देख कर बहुत ही मायूस हुआ और अपने कमरे में चला गया।
फिर अनु ने आनंदी को कहा सुन ये सारे तोहफा राजू के कमरे में रख दें। आनंदी ने कहा हां मैम मैं सब रख देती हूं। फिर आनंदी और रीतू मिल कर सारा तोहफा राजू के कमरे में रख दिया और फिर आनंदी और कृष्णा अपने घर चले गए।
रात को राजू ने एक- एक करके सारा तोहफा खोला तो किसी ने गेम दिया तो किसी ने सजावट का सामान दिया तो कोई पेन डायरी दिया। राजू को सारे तोहफ़ों में आनंदी का दिया फोटो फ्रेम बहुत पसन्द आया। और उसने सोचा कि कोई अच्छी फोटो लगा कर अपने कमरे में सजायेगा।
 
दूसरे दिन सुबह कृष्णा वाई जल्दी से तैयार हो कर राजू के घर पहुंच गई। कृष्णा ने आनंदी की तबीयत ठीक ना होने की वजह से उसको घर पर रहने की सलाह दी ।
 
कृष्णा वाई राजू के घर पहुंच कर जल्दी से साफ सफाई करने लगी।अनु बोली अरे आनंदी नहीं आई। कृष्णा बोली नहीं मैम उसकी तबियत ठीक नहीं है।अनु हंस कर बोली जरूर कल ज्यादा ही खा लिया था।
कृष्णा कुछ नहीं बोली और काम करने लगी।
 
तभी रीतू नीचे आ कर बोली कृष्णा वाई ओह आनंदी नहीं आई? उसको एक अच्छी खबर देनी थी। कृष्णा बोली अच्छा क्या बात है? रीतू बोली अरे कृष्णा वाई आनंदी को लंदन के स्कूल में दाखिला मिल जायेगा। उसका रेजल्ट इतना अच्छा है। उसे अब मेरे साथ लंदन जाना होगा।कृष्णा सुनकर रोने लगी। रीतू बोली अरे आप रो रही है। कृष्णा वाई बोली हां ये खुशी के आंसु है।
राजू भी बहुत खुश हो गया।
अनु बोली अच्छा अब नाश्ता बना दे। नाश्ता कुछ हल्का सा बना दो।कृष्णा बोली हां मैम जो आप बोले। अनु ने कहा कि सूजी का हलवा और मठरी बना दे। कृष्णा ने कहा हां मैम बना देती हूं।
फिर सब काम करने के बाद कृष्णा अपने घर के लिए निकल गई। घर पहुंच कर देखा कि आनंदी पढ़ रही है। आनंदी ने कहा मां आ गई। कृष्णा वाई बोली हां आनंदी तेरे लिए एक खुशखबरी लाई हुं। आनंदी बोली अरे मां क्या हुआ? कृष्णा बोली तेरा लंदन जाने का सपना पूरा होने वाला है। आनंदी ने कहा अच्छा। कृष्णा ने कहा हां रीतू बेबी ने कहा। आनंदी ने कहा हां दीदी ने सब कर दिया मां।
कृष्णा ने कहा हां बेटा वो तो जब पिछले साल आई थी तभी तो तुम्हारा आधार कार्ड ले गई थी और देखो इस साल तुमको ले जाएंगी।
 
दोस्तों इस कहानी को आगे पढ़ने के लिए इसका दूसरा भाग पढ़ना होगा। आज बस यही तक।।